धरहरा थाना की प्रशिक्षु दरोगा का खुद का जीवन बड़ा ही संघर्ष भरा रहा।पर उन्होंने संषर्घों का न केवल सामना किया बल्कि विषम परिस्थितियों में संघर्ष कर के सफलता भी पाई और परिवार व समाज के समक्ष महिला शक्ति की मिसाल बनी।वह चार बहनों में सबसे बड़ी हैं।पढ़ाई और तैयारी के दौरान माँ का विशेष आग्रह नौकरी के बजाय उनकी शादी को लेकर था।जबकि शिक्षित और आत्मनिर्भर होना अमृता की पहली प्राथमिकता थी।अपनी सफलता का श्रेय वह पिता को देते हुए बताती है कि पिता सदैव उनके फैसले में सहयोगी रहे और सकारात्मक विचारों से हौसला बढ़ाया।जब इकलौते भाई का गंभीर बीमारी से मौत हुआ तो पूरा परिवार टूट गया।वावजूद उन्होंने हिम्मत और हौसला नही हारा और इतने बड़ी दुख के बीच पढ़ाई और मेहनत जारी रखा।एक वर्ष बाद बिहार पुलिस में दरोगा पद पर सफल होकर परिवार का संबल बनी और समाज के समक्ष भी एक मिशाल कायम किया।पुलिस का काम चुनौतियों और खतरों भरा है।इस बीच अमृता स्वयं को यहां हर मोर्चे पर साबित कर रही है.वह कहती है की महिलाओं को सरकार के प्रत्येक योजनाओं की जानकारी होनी चाहिए.ताकि उसका लाभ लेकर वह शिक्षित और आत्मनिर्भर हो और समाज निर्माण में अग्रणी भूमिका निभाए।वे महिलाओं को निडर होने का संदेश देती है.
संदर्भ-अंतराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर पत्रकार योग चैतन्य (बिट्टू कुमार सिंह) और एसएचओ अमृता कुमारी से हुई बातचीत पर आधारित-