बोले डॉ0 पीएन चतुर्वेदी- मन्त्री का प्रोटोकॉल भारी, तो दी बृजेश पाठक की सिफ़ारिश को तवज्जो
दावा किया- चिकित्सा मन्त्री से मुख्यमन्त्री ने किया है विधायक आशीष सिंह ‘आशू’ पर कार्यवाही का कॉल।
रोहित कुमार दीक्षित
एक एएनएम के ट्रान्सफर को लेकर बिलग्राम-मल्लावां के विधायक आशीष सिंह ‘आशू’ और मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ0 पी0एन0 चतुर्वेदी के मध्य बहुचर्चित तक़रार के मामले को लेकर स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों/कर्मचारियों के संगठनों ने आज हड़ताल तो वापस ले ली। लेकिन, सीएमओ ने ट्रान्सफर/पोस्टिंग के मामले को ‘माननीयों’ के प्रोटोकॉल से जोड़ एक नए विवाद को ज़मीन दे दी।
अधीनस्थों की हड़ताल ख़त्म होने के बाद मीडिया से बात करते हुए कहा कि वह पहले ही दिन से हड़ताल के पक्ष में नहीं थे। बोले, सूबे के चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मन्त्री सिद्धार्थ नाथ सिंह ने बताया है कि प्रकरण मुख्यमन्त्री के संज्ञान में है और उन्होंने विधायक आशीष सिंह ‘आशू पर अनुशासनात्मक कार्यवाही का आश्वासन दिया है। कहा, इसके बाद उनकी अपील पर अधीनस्थों ने हड़ताल ख़त्म कर दी है।
सीएमओ ने साफ़ कहा कि विधायक की सिफ़ारिशी चिट्ठी पहले मिली और मन्त्री की बाद में। लेकिन, मन्त्री का प्रोटोकॉल भारी होता है, इसलिए उनकी पैरवी को वरीयता दी। डॉ0 चतुर्वेदी के इस बयान ने प्रोटोकॉल की नई थेरी पर बहस को ज़मीन दे दी है। जानकारों के मुताबिक सार्वजनिक कार्यक्रमों में मन्त्री और विधायक का प्रोटोकॉल वरिष्ठता व कनिष्ठता के क्रम में स्थान निर्धारित होता है। लेकिन, ट्रान्सफर/पोस्टिंग की सिफारिशों के मामलों में ऐसा देखने को नहीं मिलता।
अब, ट्रान्सफर/पोस्टिंग की सिफारिशों में प्रोटोकॉल का सच जो भी हो। लेकिन, एक अफ़सर ने अपने ताज़ा बयान से एक विवाद और बहस को ज़मीन ज़रूर दी है।