पीटीआर के सुस्त डीडी ने अपने छोटे कर्मचारी और एसएफ डीडी पर छोड़ा टाइगर मिशन
पीलीभीत टाइगर रिजर्व से बाहर निकले एक टाइगर को लगभग डेढ़ माह से ज्यादा गुजर चुका है माधोटांडा क्षेत्र सहित शाहगढ़ और फिर सात मील तक टाइगर ने अपना एरिया स्थापित करने के लिए चक्कर लगाया 22 दिसंबर से शाहगढ़ की एक नहर किनारे टाइगर अपना डेरा जमाए बैठा रहा 27 दिसंबर को टाइगर के लिए एक पिंजरे में बकरा बांध कर पूरी तैयारी कर ली गई कमाल की बात रही कि पिंजरे में बकरा बनते ही टाइगर पिंजरे के सामने आकर बैठ गया पिंजरे के अंदर नहीं गया।
हो सकता है कि तीन दिन पहले उन्हें पंडा का शिकार किया था और एक दिन पहले जंगली सूअर को अपना निवाला बनाया जिसकी वजह से उसका पेट भरा हुआ है और वह पिंजरे की तरफ तवज्जो नहीं दे रहा लेकिन सामाजिक वानिकी के डीएफओ श्री संजीव कुमार, पूरनपुर रेंजर श्री अयूब हसन खान, बीसलपुर रेंजर वजीर हसन खान,वन दरोगा शेर सिंह,अजमेर सिंह, ठाकुर अतुल सिंह, सहित सामाजिक वानिकी और पीटीआर माला रेंज की टीम मुस्तैदी से जमी हुई है।
लेकिन पीलीभीत टाइगर रिजर्व के डीएफओ को इतना समय नहीं है कि वह मौके पर पहुंचकर कुछ मार्गदर्शन दे अगर मां के दर्शन नहीं दे सकते तो अपने भविष्य के अनुभव के लिए वह बैठे अनुभवी कर्मचारियों से कुछ सीखें यह पहली बार हुआ है कि इस तरह टाइगर मिशन कर्मचारियों पर छोड़ा गया है। वरना पीलीभीत टाइगर रिजर्व का इतिहास रहा है कि यहां डीएफओ ने जमीनी स्तर पर उतर कर अपने कर्मचारियों के साथ मानव वन्यजीव संघर्ष रोकने के लिए कंधे से कंधा मिलाकर डटे रहे हैं।
पिछले 6 दिन में पीटीआर डीडी सिर्फ एक बार मौके पर पहुंचे और 5 मिनट खड़े होकर तमाशा देखा और घूम कर दोबारा शाहगढ़ की ओर नहीं गए।
फिलहाल सामाजिक वानिकी की निगरानी में जल्द ही बड़ी सफलता हासिल होगी।